Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re
अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]
Jo Rahe Badalta Jagat Vahi
परिवर्ती जगत् जो रहे बदलता जगत वही रह सकता इक सा कभी न ये, जो समझे शांति भी मिले यहीं जो चाहे कि यह नहीं बदले, उन लोगों को रोना पड़ता हम नहीं हटेगें कैसे भी, विपदा में निश्चित वह फँसता जो अपने मन में धार लिया,हम डटे रहेंगे उस पर ही वे भूल गये […]
Jo Kuch Bhi Milta Hai Hamko
सेवा धर्म जो कुछ भी मिलता है हमको, उसमें सबका हिस्सा जान उससे सुलभ हमें होएगी, निश्चित ही सुख शांति महान विद्यादान करो अनपढ़ को,रोगी को औषधि का दान वस्त्रहीन को वस्त्रदान दो, किन्तु न करो जरा अहसान भूखे को तो भोजन देना, गृह विहीन को आश्रय दान भूले को सन्मार्ग बता दो, सभी रूप […]
Jo Rahe Vasna Ant Samay
नाम स्मरण जो रहे वासना अन्त समय, वैसी ही गति को प्राप्त करे श्रीराम कृष्ण को स्मरण करे, सद्बुद्धि वही प्रदान करे सम्बन्धी कोई पैदा हो या मर जाये, निर्लिप्त रहें गोपीजन का श्रीकृष्ण प्रेम आदर्श हमारा यही रहे कन्या ससुराल में जाती है, मैके से दूर तभी होये जो प्रभु से लौ लग जाये […]
Jo Bhaje Hari Ko Sada
हरि-भजन जो भजे हरि को सदा, सोई परमपद पायेगा देह के माला तिलक अरुछाप नहीं कुछ काम के प्रेम भक्ति के बिना नहीं, नाथ के मन भायेगा दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को शरण जा गुरु के चरण में, तो प्रभु मिल जायेगा छोड़ दुनियाँ के मजे सब, बैठकर एकांत में […]
Jo Vishva Vandya Karuna Sagar
स्तुति जो विश्वबंद्य करुणासागर मैं शरण उन्हीं की जाता हूँ शरणागत पालक विश्वरूप, मैं प्रभु का वंदन करता हूँ जिनके प्रविष्ट कर जाने परे, जड़ भी चेतन हो जाते हैं जो कारण कार्य पर सबके, मेरे अवलम्बन वे ही है ऋषि मुनि देवता भी जिनका कैसा स्वरूप न जान सके फिर तो साधारण जीव भला, […]
Satsang Kare Jo Jivan Main
शिव स्तवन सत्संग करे जो जीवन में, हो जाये बेड़ा पार काशी जाये मधुरा जाये, चाहे न्हाय हरिद्वार चार धाम यात्रा कर आये, मन में रहा विकार बिन सत्संग ज्ञान नहीं उपजे, हो चाहे यत्न हजार ‘ब्रह्मानंद’ मिले जो सदगुरु, हो अवश्य उद्धार
Prabhu Ka Jo Anugrah Hota Hai
भक्त प्रभु का जो अनुग्रह होता है सांसारिकता से निवृत्ति हो, हरि का स्वरूप मन भाता है लीलाओं का वर्णन करते, वाणी गद्गद् हो जाती है तब रोता है या हँसता है, कभी नाचे या तो गाता है जब रूप गुणों में तन्मय हो, चित द्रवित तभी हो जाता है होता है भक्त जो कि, […]
Anant Guno Ke Jo Sagar
प्रभु संकर्षण वंदना अनन्त गुणों के जो सागर, प्रभु संकर्षण को नमस्कार मस्तक उनके जो हैं सहस्त्र, एक ही पर पृथ्वी का अधार देवता असुर गन्धर्व, सिद्ध, मुनिगण भी पाये नहीं पार एक कान में कुण्डल जगमगाय, शोभित है अंग पे नीलाम्बर कर हल की मठू पर रखा हुआ, वक्ष:स्थल पे वैजन्ती हार भगवान कृष्ण […]
Prabhu Se Jo Sachcha Prem Kare
हरि-भक्ति प्रभु से जो सच्चा प्रेम करे, भव-सागर को तर जाते हैं हरिकथा कीर्तन भक्ति करे, अर्पण कर दे सर्वस्व उन्हें हम एक-निष्ठ उनके प्रति हों, प्रभु परम मित्र हो जाते हैं लाक्षागृह हो या चीर-हरण, या युद्ध महाभारत का हो पाण्डव ने उनसे प्रेम किया, वे उनका काम बनाते है हो सख्य-भाव उनसे अपना, […]