Ishwar Ans Jiv Avinasi
सुभाषित ईश्वर अंस जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुखरासी उलटा नाम जपत जगजाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ विपति निदाना जा पर कृपा राम की होई, तापर कृपा करहिं सब कोई जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया जिन हरि –भक्ति ह्रदय नहिं आनी, जीवत शव […]
Jiv Bas Ram Nam Japna
हरिनाम स्मरण जीव बस राम नाम जपना, जरा भी मत करना फिकरी भाग लिखी सो हुई रहेगी, भली बुरी सगरी ताप करके हिरणाकुश राजा, वर पायो जबरी लौह लकड़ से मार्यो नाहीं, मर्यौ मौत नख री तीन लोक ककी माता सीता, रावण जाय हरी जब लक्षमण ने करी चढ़ाई, लंका गई बिखरी आठों पहर राम […]