Badi Maa Kaise Jiun Bin Ram
भरत का प्रेम बड़ी माँ! जीऊँ कैसे बिन राम सिया, राम, लछमन तो वन में, पिता गये सुरधाम कुटिल बुद्धि माँ कैकेयी की, बसिये न ऐसे ग्राम भोर भये हम भी वन जैहें, अवध नहीं कछु काम अद्भुत प्रेम भरत का, प्रस्थित गये मिलन को राम
भरत का प्रेम बड़ी माँ! जीऊँ कैसे बिन राम सिया, राम, लछमन तो वन में, पिता गये सुरधाम कुटिल बुद्धि माँ कैकेयी की, बसिये न ऐसे ग्राम भोर भये हम भी वन जैहें, अवध नहीं कछु काम अद्भुत प्रेम भरत का, प्रस्थित गये मिलन को राम