Jasumati Palna Lal Jhulave
यशोदा का स्नेह जसुमति पलना लाल झुलावे, निरखि निरखि के मोद बढ़ावे चीते दृष्टि मन अति सचु पावे, भाल लपोल दिठोना लावे बार बार उर पास लगावे, नन्द उमंग भरे मन भावे नेति नेति निगम जेहि गावे, सो जसुमति पयपान करावे बड़भागी ब्रज ‘सूर’ कहावे, मैया अति हर्षित सुख पावे
Mohan Lalpalne Jhule Jasumati Mat Jhulave Ho
झूला मोहनलाल पालने झूलैं, जसुमति मात झुलावे हो निरिख निरखि मुख कमल नैन को, बाल चरित जस गावे हो कबहुँक सुरँग खिलौना ले ले, नाना भाँति खिलाये हो चुटकी दे दे लाड़ लड़ावै, अरु करताल बजाये हो पुत्र सनेह चुचात पयोधर, आनँद उर न समाये हो चिरजीवौ सुत नंद महर को, ‘सूरदास’ हर्षाये हो