Ja Din Man Panchi Udi Jehain
देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं
देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं