Sis Jata Ur Bahu Visal
राम से मोह सीस जटा उर बाहु विसाल, विलोचन लाल, तिरीछी सी भौहें बान सरासन कंध धरें, ‘तुलसी’ बन-मारग में सुठि सौहें सादर बारहिं बार सुभायँ चितै, तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहैं पूछति ग्राम वधु सिय सौं, कहौ साँवरे से सखि रावरे कौ हैं
Shankar Teri Jata Main Shamil Hai Gang Dhara
शिवशंकर शंकर तेरी जटा में शोभित है गंग-धारा काली घटा के अंदर, चपला का ज्यों उजारा गल मुण्डमाल राजे, शशि शीश पर बिराजे डमरू निनाद बाजे, कर में त्रिशूल साजे मृग चर्म वसन धारी, नंदी पे हो सवारी भक्तों के दुःख हारी, गिरिजा के सँग विहारी शिव नाम जो उचारे, सब पाप दोष जारे भव-सिंधु […]