Kahiya Jasumati Ki Aasis
वियोग कहियो जसुमति की आसीस जहाँ रहौ तहँ नंद – लाडिलौ, जीवौ कोटि बरीस मुरली दई दोहनी घृत भरि ऊधौ धरि लई सीस इह घृत तो उनही सुरभिन को, जो प्यारी जगदीस ऊधौ चलत सखा मिलि आये, ग्वाल-बाल दस-बीस अब के इहाँ ब्रज फेरि बसावौ, ‘सूरदास’ के ईस
Jasumati Palna Lal Jhulave
यशोदा का स्नेह जसुमति पलना लाल झुलावे, निरखि निरखि के मोद बढ़ावे चीते दृष्टि मन अति सचु पावे, भाल लपोल दिठोना लावे बार बार उर पास लगावे, नन्द उमंग भरे मन भावे नेति नेति निगम जेहि गावे, सो जसुमति पयपान करावे बड़भागी ब्रज ‘सूर’ कहावे, मैया अति हर्षित सुख पावे
Jasumati Man Abhilash Kare
माँ की अभिलाषा जसुमति मन अभिलाष करे कब मेरो लाल घुटुरूअन रैंगे, कब धरती पग धरै कब द्वै दाँत दूध के देखौ, कब तोतरे मुख वचन झरै कब नंद ही बाबा कहि बोले, कब जननी कहि मोहि ररै ‘सूरदास’ यही भाँति मैया , नित ही सोच विचार करै
Dhanya Nand Dhani Jasumati Rani
धन्य नन्द-यशोदा धन्य नन्द, धनि जसुमति रानी धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारंगपानी धन्य व्रजभूमि धन्य वृन्दावन, जहँ अविनासी आए धनि धनि ‘सूर’ आह हमहूँ जो, तुम सब देख न पाए
Mohan Lalpalne Jhule Jasumati Mat Jhulave Ho
झूला मोहनलाल पालने झूलैं, जसुमति मात झुलावे हो निरिख निरखि मुख कमल नैन को, बाल चरित जस गावे हो कबहुँक सुरँग खिलौना ले ले, नाना भाँति खिलाये हो चुटकी दे दे लाड़ लड़ावै, अरु करताल बजाये हो पुत्र सनेह चुचात पयोधर, आनँद उर न समाये हो चिरजीवौ सुत नंद महर को, ‘सूरदास’ हर्षाये हो
Hari Kilkat Jasumati Ki Kaniyan
माँ का स्नेह हरि किलकत जसुमति की कनियाँ मुख में तीनि लोक दिखराए, चकित भई नँद-रनियाँ घर-घर आशीर्वाद दिवावति, बाँधति गरै बँधनियाँ ‘सूर’ स्याम की अद्भुत लीला, नहिं जानत मुनि जनियाँ
Pakari Lehun Sab Jasumati Ko
होली पकरि लेहु सब जसुमति को, लाल चटक यापे रंग डारौ करि रहयो छेड़खानी कबसे, यापे कोऊ न बरजन वारो अरी सखी! हौं तो अलबेली, खेलत फाग में परी अकेली काहु की माने नाहिं तनिक हू, करि रह्यो मोसों ही अठखेली होरी के मिस करै धमाल अरी सखि जातै लेहु छुड़ाय पकरि लेहु झटपट नन्दकुमार, […]