Man Fula Fula Fire Jagat Main Kaisa Nata Re
असार संसार मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे मात कहै यह पुत्र हमारा, बहन कहै वीर मेरा रे भाई कहै यह भुजा हमारी, नारी कहै नर मेरा रे पेट पकड़ के माता रोवे, बाँह पकड़ के भाई रे लपटि झपटि के तिरिया रोवे, हंस अकेला जाई रे चार गजी चादर मँगवाई, चढ़ा काठ […]
Ram Nam Ke Bina Jagat Main
राम आसरा राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल […]
Jagat Main Radha Nam Amol
श्री राधा स्मरण जगत में राधा नाम अमोल व्यर्थ न करो बकवाद बावरे, राधा राधा बोल राधा नाम सरस अति सुन्दर, हीरा सम अनमोल जातें सुखद वस्तु नहिं जग में, भक्तनि लीयो तोल राधा कच कारे घुँघराले, बाँके लोचन लोल हिय मनहर कटि छीन उदर बर, रूप अनूप सुडोल
Jagat Main Jivan Do Din Ka
नश्वर संसार जगत् में जीवन दो दिन का पाप कपट कर माया जोड़ी, गर्व करे धन का सभी छोड़कर चला मुसाफिर, वास हुआ वन का सुन्दर काया देख लुभाया, लाड़ करे इसका श्वास बन्द हो बिखरे देही, ज्यों माला मनका यह संसार स्वप्न की माया, मिलना कुछ दिन का ‘ब्रह्मानंद’ भजन कर ले तूँ, जपो […]
Jagat Main Jivan Hai Din Char
सदुपदेश जगत में जीवन है दिन चार खरी कमाई से ही भोगो, किंचित सुख संसार मात-पिता गुरुजन की सेवा, कीजै पर उपकार पशु पक्षी जड़ सब के भीतर, ईश्वर अंश निहार द्वेष भाव मन से बिसराओ, करो प्रेम व्यवहार ‘ब्रह्मानंद’ तोड़ भव-बंधन, यह संसार असार
Aasakti Jagat Ki Nashta Kare
सत्संग की महिमा आसक्ति जगत् की नष्ट करें, खुल जाता है मुक्ति का द्वार स्वाध्याय, सांख्य व योग, त्याग, प्रभु को प्रसन्न उतने न करें व्रत, यज्ञ, वेद या तीर्थाटन, यम, नियम, प्रभु को वश न करें तीनों युग में सत्संग सुलभ, जो करे प्रेम से नर नारी यह साधन श्रेष्ठ सुगम निश्चित, दे पूर्ण […]
Jagat Main Jivan Kuch Din Ka
नश्वर जीवन जगत् में जीवन कुछ दिन का देह मिली मानव की प्रभु से कर न गर्व इसका सदुपयोग तूँ कर विवेक का, मत कर तूँ मन का काल बली माथे पर नाचे, पता नहीं छिन का राम नाम के दो अक्षर में, सब सुख शांति समाई राम नाम भजले मनवा तूँ, भवसागर तर जाई […]
Jagat Main Jivan Ke Din Char
नश्वर जीवन जगत में जीवन के दिन चार मिला विवेक प्रभु से हमको, इसका करो विचार फँस मत जाना यहाँ मोह में, सभी कपट व्यवहार किसका तूँ है कौन तुम्हारा, स्वार्थ पूर्ण संसार मानव तन दुर्लभ दुनिया में, कर सेवा उपकार प्रभु से प्रीति लगाले प्यारे, नहीं करें भव-पार
Jagat Main Jhuthi Dekhi Preet
प्रबोधन जगत् में झूठी देखी प्रीत अपने ही सुख से, सब लागे, क्या दारा क्या मीत मेरो मेरो सभी कहत है, हित सौं बाँध्यो चीत अन्तकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत यह कैसी है नीत ‘नानक’ भव-जल पार परै, जो गावै प्रभु के गीत
Jagat Se Prabho Ubaro
शरणागति जगत से प्रभो उबारो हे घट घट वासी, मैं पापी, मुझको आप सँभारो मुझे विदित है तुम सेवक के, दोष नहीं मन लाते ग्वाल-बाल संग क्रीड़ा करते, गाय चराने जाते तुम को प्यार गरीबों से प्रभु, साग विदुर घर खाते शबरी, सुदामा, केवट को, प्रभु तुम ही हो अपनाते तार दिया तुमने भव जल […]