Kahe Re Van Dhoondhan Jaai
अन्तर्यामी काहे रे वन ढूँढन जाई घट घट वासी सदा अलेपा, तोही संग समाई पुष्प मध्य ज्यों गंध बसत है, मुकुर माँहि जस छार्इं तैसे ही हरि बसे निरन्तर, घट घट खोजौ भाई बाहर भीतर एकौ जानौ, ‘नानक’ ज्ञान बताई
अन्तर्यामी काहे रे वन ढूँढन जाई घट घट वासी सदा अलेपा, तोही संग समाई पुष्प मध्य ज्यों गंध बसत है, मुकुर माँहि जस छार्इं तैसे ही हरि बसे निरन्तर, घट घट खोजौ भाई बाहर भीतर एकौ जानौ, ‘नानक’ ज्ञान बताई