Ja Din Man Panchi Udi Jehain

देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं

Ja Par Dinanath Dhare

हरि कृपा जा पर दीनानाथ ढरै सोइ कुलीन, बड़ो सुन्दर सोई, जा पर कृपा करै रंक सो कौन सुदामा हूँ ते, आप समान करै अधिक कुरूप कौन कुबिजा ते, हरि पति पाइ तरै अधम है कौन अजामिल हूँ ते, जम तहँ जात डरै ‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, फिरि फिरि जठर परै

Jogi Mat Ja Mat Ja Mat Ja

विरह व्यथा जोगी मत जा, मत जा, मत जा, पाँव पड़ू मैं तोरे प्रेम भगति को पंथ है न्यारो, हमकूँ गैल बता जा अगर चंदन की चिता बनाऊँ, अपने हाथ जला जा जल-जल भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, जोत में जोत मिला जा

Nek Thaharija Shyam Bat Ek Suni Ja Mori

राधा के श्याम नेंक ठहरि जा श्याम! बात एक सुनि जा मेरी दौर्यो जावै कहाँ, दीठि चंचल अति तोरी ब्रज में मच्यो चवाउ, बात फैली घर-घर में कीरति रानी लली धँसी है, तेरे उर में निज नयननि निरख्यो न कछु, सुन्यो सुनायो ही कह्यो गोरी भोरी छोहरी, को चेरो तू बनि गयो

Ja Ko Manvranda Vipin Haryo

वंदनावन-महिमा जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो ‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो  

Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko

मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]