Bharosa Dradh In Charanan Kero
शरणागति भरोसो दृढ़ इन चरणन केरो श्री वल्लभ नख-चन्द्र छटा बिनु, सब जग माँझ अँधेरो साधन और नहीं या कलि में, जासो होत निबेरो ‘सूर’ कहा कहैद्विविध आँधरो, बिना मोल को चेरो
Aaju In Nayananhi Nirakhe
माधव की मोहिनी आजु इन नयनन्हि निरखे स्याम निकसे ह्वै मेरे मारग तैं, नव नटवर अभिराम मो तन देखि मधुर मुसकाने, मोहन-दृष्टि ललाम ताही छिनते भए तिनहिं के, तन-मन-मति-धन-धाम हौं बिनु मोल बिकी तिन चरनन्हि, रह्यौ न जग कछु काम माधव-पद-पंकज मैं पायौ, मन मधुकर विश्राम