Udho Hot Kaha Samjhaye
हरि की याद ऊधौ! होत कहा समुझाये चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर ‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर
Jo Sukh Hot Gopalhi Gaye
गोपाल का गुणगान जो सुख होत गोपालहिं गाये सो न होत जपतप व्रत संयम, कोटिक तीरथ न्हाये गदगद गिरा नयन जल धारा, प्रेम पुलक तनु छाये तीन लोक सुख तृणवत लेखत, नँद-नंदन उर आये दिये लेत नहिं चार पदारथ, हरि चरणन अरुझाये ‘सूरदास’ गोविन्द भजन बिनु, चित नहीं चलत चलाये