Kya Yagya Ka Uddeshya Ho
यज्ञ क्या यज्ञ का उद्देश्य हो दम्भ अथवा अहं हो नहीं, शुद्ध सेवा भाव हो हो समर्पण भावना, अरु विश्व का कल्याण हो इन्द्रिय-संयम भी रहे, अवशिष्ट भोगे यज्ञ में शाकल्य का मंत्रों सहित, हो हवन वैदिक यज्ञ में संयम रूपी अग्नि में, इन्द्रिय-सुखों का हवन हो अध्यात्म की दृष्टि से केवल, शास्त्र का स्वाध्याय […]
Chahe Puja Path Stavan Ho
कर्तव्य निष्ठा चाहे पूजा पाठ स्तवन हो, सब नित्य कर्म के जैसा ही मन में श्रद्धा तन्मयता हो, तब उपादेय होता वोही हम आँखे खोल तनिक देखें, कुछ भला कार्य क्या कर पाये बस माया मोह में फँसे रहे, दिन रात यूँ ही बीता जाये पूजन में जो नहीं बसे देव तो उसे छोड़ कर […]
Kabhuk Ho Ya Rahni Rahongo
संत-स्वभाव कबहुँक हौं या रहनि रहौंगो श्री रघुनाथ कृपालु-कृपातें, संत स्वभाव गहौंगो जथा लाभ संतोष सदा, काहू सों कछु न चहौंगो परहित निरत निरंतर मन क्रम वचन नेम निबहौंगो परिहरि देह जनित चिंता, दुख-सुख समबुद्धि सहौंगो ‘तुलसिदास’ प्रभुयहि पथ अविचल, रहि हरि-भगति लहौंगो
Jo Karna Ho Karlo Aaj Hi
वर्तमान जो करना हो कर लो आज ही अनुकूल समय का मत सोचो, मृत्यु का कुछ भी पता नहीं चाहे भजन ध्यान या धर्म कार्य, इनमें विलम्ब हम नहीं करें सत्कार्य जो सोचा हो मन में, कार्यान्वित वह तत्काल करे वैभव नहिं शाश्वत, तन अनित्य, शुभ कर्मों में मन लगा रहे कल करना हो वह […]
Tu Dayalu Din Ho Tu Dani Ho Bhikhari
शरणागति तू दयालु, दीन हौं, तू दानि, हौं भिखारी हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप – पुंज – हारी नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो मो समान आरत नहिं, आरतहर तोसो ब्रह्म तू, हौं जीव, तू ठाकुर, हौं चेरो तात, मात, गुरु, सखा तू, सब बिधि हितू मेरो तोहि मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै […]
Tum Prem Ke Ho Ghanshyam
प्रेमवश प्रभु तुम प्रेम के हो घनश्याम गोपीजन के ऋणी बने तुम, राधा वल्लभ श्याम शबरी के जूँठे फल खाये, सीतापति श्रीराम लंका राज विभीषण पायो, राम भक्ति परिणाम बंधन मुक्त करे निज जन को, जसुमति बाँधे दाम गाढ़ी प्रीत करी ग्वालन संग, यद्यपि पूरम-काम व्यंजन त्याग साग को भोजन, कियो विदुर के ठाम राजसूय […]
Bali Bali Ho Kuwari Radhika
राधा कृष्ण प्रीति बलि बलि हौं कुँवरि राधिका, नन्दसुवन जासों रति मानी वे अति चतुर, तुम चतुर-शिरोमनि, प्रीत करी कैसे रही छानी बेनु धरत हैं, कनक पीतपट, सो तेरे अन्तरगत ठानी वे पुनि श्याम, सहज तुम श्यामा, अम्बर मिस अपने उर आनी पुलकित अंग अवहि ह्वै आयो, निरखि सखी निज देह सयानी ‘सूर’ सुजान सखी […]
Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko
कर्म निष्ठा नर हो न निराश, करो मन को, बस कर्म करो पुरुषार्थ करो आ जाय समस्या जीवन में, उद्देश्य हमारा जहाँ सही साहस करके बढ़ते जाओ, दुष्कर कोई भी कार्य नहीं संघर्ष भरा यहा जीवन है, आशा को छोड़ो नहीं कभी मन में नारायण नाम जपो, होओगे निश्चित सफल तभी जब घिर जाये हम […]
Main Apani Sab Gai Chare Ho
गौ चारण लीला मैं अपनी सब गाइ चरैहौं प्रात होत बल के संग जैहौं, तेरे कहे न रैहौं ग्वाल-बाल गाइनि के भीतर, नेकहु डर नहिं लागत आजु न सोवौं, नंद-दुहाई, रैनि रहौंगो जागत और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठौ रैहौं ‘सूर’ श्याम, तुम सोइ रहो अब, प्रात जान मैं दैहौं
Nirmal Vivek Ho Ant Samay
गजेन्द्र स्तुति निर्मल विवेक हो अन्त समय गजेन्द्र-मोक्ष स्तवन करे, नित ब्रह्म मुहूर्त में हो तन्मय अद्भुत स्तुति नारायण की, जो गजेन्द्र द्वारा सुलभ हमें हो अन्त समय में जैसी मति, वैसी ही गति हो प्राप्त हमें पापों, विघ्नों का शमन करें, स्तुति श्रेय यश को देती निष्काम भाव अरू श्रद्धा से, हम करें कष्ट […]