Meri Shudhi Lijo He Brajraj
शरणागति मेरी सुधि लीजौ हे ब्रजराज और नहीं जग में कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारो काज गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी और गजराज ‘सूर’ पतित पावन करि कीजै, बाहँ गहे की लाज
He Govind He Gopal He Govind Rakho Sharan
शरणागति हे गोविन्द, हे गोपाल, हे गोविन्द राखो शरण अब तो जीवन हारे, हे गोविन्द, हे गोपाल नीर पिवन हेतु गयो, सिन्धु के किनारे सिन्धु बीच बसत ग्राह, चरन धरि पछारे चार प्रहर युद्ध भयो, ले गयो मझधारे नाक कान डूबन लागे, कृष्ण को पुकारे द्वारका में शब्द गयो, शोर भयो भारे शंख-चक्र, गदा-पद्म, गरूड़ […]
He Hari Nam Ko Aadhar
नाम स्मरण है हरि नाम को आधार और या कलिकाल नाहिन, रह्यो विधि ब्यौहार नारदादि, सुकादि संकर, कियो यहै विचार सकल श्रुति दधि मथत काढ्यो, इतो ही घृतसार दसहुँ दिसि गुन करम रोक्यो, मीन को ज्यों जार ‘सूर’ हरि को सुजस गावत, जेहि मिटे भवभार
He Antaryami Prabho
हितोपदेश हे अंतर्यामी प्रभो, आत्मा के आधार तो तुम छोड़ो हाथ तो, कौन उतारे पार आछे दिन पाछे गये, हरि से किया न हेत अब पछताये होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत ऊँचे कुल क्या जनमिया, करनी ऊँच न होई सुवरन कलस सुरा भरा, साधू निन्दे सोई ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय औरन […]
He Hanumat Ham Adham Daya Kari Ke Apnao
श्री हनुमान स्तुति हे हनुमत! हम अधम दया करिके अपनाओ हे मारुति! भव-जलधि बहि रहो पार लगाओ हे अञ्जनि के तनय! शरन अपनी लै लीजै हे करुनाकर! कृपा कि’रनि पै करि दीजै हे कपि कौशल स्वामि प्रिय, तव नामनि मुखतें कहूँ हे केशरिसुत! तव चरन, चंचरीक बनि नित रहूँ
Jay Kamala He Mahalakshmi
महालक्ष्मी स्तवन जय कमला हे महालक्ष्मी जय, सकल जगत माता सुखदाई रत्न मुकुट मस्तक पर राजै, चन्द्रहार गल शोभा पाई कानन में कुंडल, कर कंकण, पग नूपुर झँकार सुहाई गरुड़ चढ़ी हरि संग विराजे, शेषनाग तन सेज बिछाई ‘ब्रह्मानंद’ करे जो सुमिरन, सुख संपति हो जाय सवाई
He Sakhi Sun To Vrindawan Main
वृंदावन केलि हे सखि सुन तो वृन्दावन में, बंसी श्याम बजावत है सब साधु संत का दुख हरने, ब्रज में अवतार लिया हरि ने वो ग्वाल-बाल को संग में ले, यमुना-तट धेनु चरावत है सिर मोर-पंख का मुकुट धरे, मकराकृत कुण्डल कानों में वक्षःस्थल पे वनमाल धरे, कटि में पट पीत सुहावत है वृन्दावन में […]
Karuna Mai He Bhagwati
दुर्गादेवी स्तुति करुणामयी हे भगवती! सद्बुद्धि दें, संकट हरें आरूढ़ होती सिंह पर, शुभ मुकुट माथे पर धरें मरकत मणि सम कान्तिमय, हम जगन्माता को वरें जिसकी न तुलना हो सके, सौन्दर्य माँ का मोहता वह गात कंकण, करधनी अरू नूपुरों से गूँजता माता अधीश्वरी विश्व की, सब देवताओं में प्रमुख वे अभय करतीं, भोग […]
Kalika Kashta Haro He Maa
माँ दुर्गा की स्तुति कालिका कष्ट हरो हे माँ! नील-मणि के सम कांति तुम्हारी, त्रिपुर सुन्दरी माँ चन्द्र मुकुट माथे पर धारे, शोभा अतुलित माँ किया आपने महिषासुर वध, शुंभ निशुंभ विनाश शक्ति न ऐेसी और किसी में, छाया अति उल्लास ऋषि, मुनि, देव समझ ना पाये, महिमा अपरंपार कौन दूसरा जान सके, माँ विश्व […]
He Gouri Putra Ganesh Gajanan
श्री गणेश प्राकट्य हे गौरी-पुत्र गणेश गजानन, सभी कामना पूर्ण करें कलियुग में पूजा अर्चन से, सारे कष्टों को शीघ्र हरे ब्रह्मा, विष्णु अरु रुद्र आप, अग्नि, वायु, रवि, चन्द्र आप श्रद्धा पूर्वक जो स्मरण करे, हर लेते सारे पाप ताप माँ पार्वती के सुत होकर के, प्रत्येक कल्प में जो आते वे परब्रह्म-भगवान कृष्ण, […]