Suni Main Hari Aawan Ki
प्रतीक्षा सुनी मैं हरि आवन की अवाज महल चढ़ि चढ़ि देखूँ मोरी सजनी, कब आवे महाराज दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल मधुरे साज उमग्यो बदरा चहुँ दिस बरसे, दामिनि छोड़ी लाज धरती रूप नवा नवा धरिया, इंद्र मिलन के काज ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेग मिलो महाराज
Braj Me Hari Hori Machai
होली ब्रज में होरी मचाई इत ते आई कुँवरि राधिका, उतते कुँवर कन्हाई गोपिन लाज त्यागि रंग खेलत, शोभा बरनि न जाई, नंद-घर बजत बधाई बाजत ताल मृदंग बाँसुरी, बीना डफ शहनाई उड़त अबीर, गुलाल, कुंकुमा, रह्यो चहुँ दिसि छाई, मानो मघवा झड़ी लगाई भरि-भरि रंग कनक पिचकारी, सन्मुख सबै चलाई छिरकत रंग अंग सब […]
Hari Tum Haro Jan Ki Pir
पीड़ा हरलो हरि तुम हरो जन की भीर द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर भक्त कारन रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर हरिणकस्यप मारि लीन्हौं, धर्यो नाहिं न धीर बूड़तो गजराज राख्यौ, कियो बाहर नीर दासी ‘मीराँ’ लाल गिरिधर, हरो म्हारी पीर