Hari Hari Hari Hari Sumiran Karo

नाम स्मरण हरि हरि हरि हरि सुमिरन करौ, हरि-चरनार-विंद उर धरौ हरि की कथा होइ जब जहाँ, गंगा हूँ चलि आवै तहाँ जमुना सिन्धु सरस्वति आवैं, गोदावरी विलम्ब न लावैं सर्व-तीर्थ को वासा तहाँ, ‘सूर’ हरि-कथा होवै जहाँ

Prem Ho To Shri Hari Ka

कृष्ण कीर्तन प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिये जो बने विषयों के प्रेमी उनपे रोना चाहिये दिन बिताया ऐश और आराम में तुमने अगर सदा ही सुमिरन हरि का करके सोना चाहिये मखमली गद्दों पे सोये तुम यहाँ आराम से वास्ते लम्बे सफर के कुछ बिछौना चाहिये छोड़ गफलत को अरे मन, […]

Charan Kamal Bando Hari Rai

वंदना चरन-कमल बंदौं हरि राइ जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौ सब कछु दरसाइ बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ ‘सूरदास’ स्वामी करुनामय, बार-बार बन्दौ तेहि पाइ

He Hari Nam Ko Aadhar

नाम स्मरण है हरि नाम को आधार और या कलिकाल नाहिन, रह्यो विधि ब्यौहार नारदादि, सुकादि संकर, कियो यहै विचार सकल श्रुति दधि मथत काढ्यो, इतो ही घृतसार दसहुँ दिसि गुन करम रोक्यो, मीन को ज्यों जार ‘सूर’ हरि को सुजस गावत, जेहि मिटे भवभार

Baithe Hari Radha Sang

मुरली मोहिनी बैठे हरि राधासंग, कुंजभवन अपने रंग मुरली ले अधर धरी, सारंग मुख गाई मनमोहन अति सुजान, परम चतुर गुन-निधान जान बूझ एक तान, चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन, सकल कला गुन प्रवीन अति नवीन रूप सहित, तान वही सुनाई ‘वल्लभ’ गिरिधरनलाल, रीझ कियो अंकमाल कहन लगे नन्दलाल, सुन्दर सुखदाई 

Chadi Man Hari Vimukhan Ko Sang

प्रबोधन छाड़ि मन, हरि-विमुखन को संग जिनके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग कहा होत पय-पान कराए, विष नहिं तजत भुजंग कागहिं कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग खर कौं कहा अरगजा-लेपन मरकट भूषन अंग गज कौं कहा सरित अन्हवाए, बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहिं बेधत, रीतो करत निषंग ‘सूरदास’ […]

Ab To Hari Nam Lo Lagi

चैतन्य महाप्रभु अब तो हरी नाम लौ लागी सब जग को यह माखन चोरा, नाम धर्यो बैरागी कित छोड़ी वह मोहक मुरली, कित छोड़ी सब गोपी मूँड मुँडाई डोरी कटि बाँधी, माथे मोहन टोपी मात जसोमति माखन कारन, बाँधे जाके पाँव श्याम किसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नाँव पीताम्बर को भाव दिखावे, कटि कोपीन […]

Bhaj Le Pyare Hari Ka Nam

नाम स्मरण भजले प्यारे हरि का नाम, इसमें लगे न कुछ भी दाम कर न बुराई कभी किसी की, जप ले मन से हरि का नाम नयनों से दर्शन हो हरि का, सुनों कान से प्रभु का गान करो तीर्थ सेवन पैरों से, करो हाथ से समुचित दान मन बुद्धि श्रद्धा से प्यारे, होय नित्य […]

Jasoda Hari Palne Jhulawe

पालना जसोदा हरि पालना झुलावै मेरे लाल की आउ निंदरिया, काहे न आन सुवावै तूँ काहैं नहि बेगिहि आवै, तोको कान्ह बुलावै कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै सौवत जानि मौन ह्वैके रहि, करि करि सैन बतावै जो सुख ‘सूर’ देव मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनि पावें

Jaao Hari Nirmohiya Re

स्वार्थ की प्रीति जाओ हरि निरमोहिया रे, जाणी थाँरी प्रीत लगन लगी जब और प्रीत थी, अब कुछ उलटी रीत अमृत पाय जहर क्यूँ दीजे, कौण गाँव की रीत ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरधर नागर, आप गरज के मीत