Aaj Hari Adbhut Ras Rachayo
रास लीला आज हरि अद्भुत रास रचायो एक ही सुर सब मोहित कीन्हे, मुरली नाद सुनायो अचल चले, चल थकित भये सबम मुनि-जन ध्यान भुलायो चंचल पवन थक्यो नहि डोलत, जमुना उलटि बहायो थकित भयो चंद्रमा सहित मृग, सुधा-समुद्र बढ़ायो ‘सूर’ श्याम गोपिन सुखदायक, लायक दरस दिखायो
Hari Ko Herati Hai Nandrani
माँ का स्नेह हरि को हेरति है नँदरानी बहुत अबेर भई कहँ खेलत, मेरे साँरगपानी सुनहति टेर, दौरि तहँ आये, कबके निकसे लाल जेंवत नहीं बाबा तुम्हरे बिनु, वेगि चलो गोपाल स्यामहिं ल्यायी महरि जसोदा, तुरतहिं पाँव पखारे ‘सूरदास’ प्रभु संग नंद के, बैठे हैं दोऊ बारे
Hari Ju Hamari Aur Niharo
शरणागति हरिजू! हमरी ओर निहारो भटकि रहे भव-जलनिधि माँही, पकरो हाथ हमारो मत्सर, मोह, क्रोध, लोभहु, मद, काम ग्राह ग्रसि डारो डूबन चाहत नहीं अवलम्बन, केवट कृष्ण निकारो बन पाषान परे इत उत हम, चरननि ठोकर मारो केवल किरपा प्रभु ही सहारो, नाथ न निज प्रन टारो
Kahu Ke Kul Hari Nahi Vicharat
भक्त के प्रति काहू के कुल हरि नाहिं विचारत अविगत की गति कही न परति है, व्याध अजामिल तारत कौन जाति अरु पाँति विदुर की, ताही के हरि आवत भोजन करत माँगि घर उनके, राज मान मद टारत ऐसे जनम करम के ओछे, ओछनि ते व्यौहारत यह स्वभाव ‘सूर’ के हरि कौ, भगत-बछल मन पारत
Hari Dekhe Binu Kal Na Pare
विरह व्यथा हरि देखे बिनु कल न परै जा दिन तैं वे दृष्टि परे हैं, क्यों हूँ चित उन तै न टरै नव कुमार मनमोहन ललना, प्रान जिवन-धन क्यौं बिसरै सूर गोपाल सनेह न छाँड़ै, देह ध्यान सखि कौन करै
Jo Bhaje Hari Ko Sada
हरि-भजन जो भजे हरि को सदा, सोई परमपद पायेगा देह के माला तिलक अरुछाप नहीं कुछ काम के प्रेम भक्ति के बिना नहीं, नाथ के मन भायेगा दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को शरण जा गुरु के चरण में, तो प्रभु मिल जायेगा छोड़ दुनियाँ के मजे सब, बैठकर एकांत में […]
Khelat Hari Nikase Braj Khori
राधा कृष्ण भेंट खेलत हरि निकसे ब्रज खोरी गए स्याम रवि – तनया के तट, अंग लसति चंदन की खोरी औचक ही देखि तहँ राधा, नैन बिसाल , भाल दिए रोरी ‘सूर’ स्याम देखत ही रीझे, नैन नैन मिलि परी ठगोरी
Hari Binu Meet Nahi Kou Tere
प्रबोधन हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे सुनि मन, कहौं पुकारी तोसौं, भजो गोपालहिं मेरे यह संसार विषय-विष सागर, रहत सदा सब घेरे ‘सूर’ श्याम बिन अंतकाल में, कोई न आवत नेरे
Jisne Nit Hari Ka Nam Liya
नाम महिमा जिसने नित हरि का नाम लिया उसने अपना कल्याण किया जिसने पशु पक्षी प्राणिमात्र का पालन पोषण नित्य किया चाहे दान किसी को दिया न दिया, भवनिधि को उसने पार किया सत्संग कथामृत पान किया, आजीवन सबका भला किया चाहे पूजा पाठ किया न किया पर भक्ति-भाव को प्राप्त किया गुरु का उपदेश […]
Khelan Ko Hari Duri Gayo Ri
यशोदा की चिन्ता खेलन कौं हरि दूरि गयौ री संग-संग धावत डोलत हैं, कह धौं बहुत अबेर भयौ री पलक ओट भावत नहिं मोकौं, कहा कहौं तोहि बात नंदहिं तात-तात कहि बोलत, मोहि कहत है मात इतनो कहत स्याम-घन आये, ग्वाल सखा सब चीन्हे दौरि जाइ उर लाइ ‘सूर’ प्रभु, हरषि जसोदा लीन्हे