Vipatti Ko Samjhen Ham Vardaan
विपदा का लाभ विपत्ति को समझें हम वरदान सुख में याद न आये प्रभु की, करें नहीं हम गान कुन्ती ने माँगा था प्रभु से, विपदायें ही आयें कष्ट दूर करने प्रभु आये, दर्शन तब हो जायें हुआ वियोग श्याम से जिनका, गोपियन अश्रु बहाये स्मरण करे प्रतिपल वे उनको, दिवस रात कट जाये अनुकुल […]
Shri Ram Jape Ham Kaise Hi
राम नाम महिमा श्री राम जपें हम कैसे ही उलटा नाम जपा वाल्मीकि ने, ब्रह्मर्षि हो गये वही लिया अजामिल ने धोखे से नाम तर गया भवसागर द्रुपद-सुता जब घिरी विपद् से, लाज बचाई नटनागर गज, गणिका का काम बन गया, प्रभु-कृपा से ही तो प्रतीति प्रीति हो दो अक्षर में, श्रीराम मिले उसको तो […]
Bharat Bhai Kapi Se Urin Ham Nahi
कृतज्ञता भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं सौ योजन मर्याद सिन्धु की, लाँघि गयो क्षण माँही लंका-जारि सिया सुधि लायो, गर्व नहीं मन माँही शक्तिबाण लग्यो लछमन के, शोर भयो दल माँही द्रोणगिरि पर्वत ले आयो, भोर होन नहीं पाई अहिरावण की भुजा उखारी, पैठि गयो मठ माँही जो भैया, हनुमत नहीं होते, को […]
Jo Ham Bhale Bure To Tere
शरणागति जो हम भले-बुरे तो तेरे तुमहिं हमारी लाज बड़ाई, विनती सुनु प्रभु मेरे सब तजि तव सरनागत आयो, निज कर चरन गहे रे तव प्रताप बल बदत न काहू, निडर भये घर चेरे और देव सब रंक भिखारी, त्यागे बहुत अनेरे ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरि कृपा ते, पाये सुख जु घनेरे
Dekhe Ham Hari Nangam Nanga
श्याम स्वरुप देखे हम हरि नंगम्नंगा आभूषण नहिं अंग बिराजत, बसन नहीं, छबि उठत तरंगा अंग अंग प्रति रूप माधुरी, निरखत लज्जित कोटि अनंगा किलकत दसन दधि मुख लेपन, ‘सूर’ हँसत ब्रज जुवतिन संगा
Ham To Nandgaon Ke Vasi
गोकुल की महिमा हम तो नंदग्राम के वासी नाम गोपाल, जाति कुल गोपहिं, गोप-गोपाल उपासी गिरिवरधारी, गोधनचारी, वृन्दावन-अभिलाषी राजा नंद जसोदा रानी, जलधि नदी जमुना सी प्रान हमारे परम मनोहर, कमल नयन सुखरासी ‘सूरदास’ प्रभु कहौ कहाँ लौं, अष्ट महासिधि दासी
Ham Na Bhai Vrindawan Renu
वृन्दावन हम न भईं वृंदावन-रेनु जिनपे चरनन डोलत नित प्रति, श्याम चरावैं धेनु हमतें धन्य परम ये द्रुम-बन, बाल बच्छ अरु धेनु ‘सूर’ ग्वाल हँसि बोलत खेलत, संग ही पीवत धेनु
Ham Bhaktan Ke Bhakta Hamare
भक्त के भगवान हम भक्तन के, भक्त हमारे सुन अर्जुन, परतिग्या मेरी, यह व्रत टरत न टारे भक्तै काज लाज हिय धरिकैं, पाय-पियादे धाऊँ जहँ-जहँ भीर परै भक्तन पै, तहँ-तहँ जाइ छुड़ाऊँ जो मम भक्त सों बैर करत है, सो निज बैरी मेरो देखि बिचारि, भक्तहित-कारन, हाँकत हौं रथ तेरो जीते जीत भक्त अपने की, […]
Ham To Ek Hi Kar Ke Mana
आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]
He Hanumat Ham Adham Daya Kari Ke Apnao
श्री हनुमान स्तुति हे हनुमत! हम अधम दया करिके अपनाओ हे मारुति! भव-जलधि बहि रहो पार लगाओ हे अञ्जनि के तनय! शरन अपनी लै लीजै हे करुनाकर! कृपा कि’रनि पै करि दीजै हे कपि कौशल स्वामि प्रिय, तव नामनि मुखतें कहूँ हे केशरिसुत! तव चरन, चंचरीक बनि नित रहूँ