Likhi Nahi Pathwat Hain Dwe Bol
विरह व्यथा लिखि नहिं पठवत हैं, द्वै बोल द्वै कौड़ी के कागद मसि कौ, लागत है बहु मोल हम इहि पार, स्याम परले तट, बीच विरह कौ जोर ‘सूरदास’ प्रभु हमरे मिलन कौं, हिरदै कियौ कठोर
Ve Hain Rohini Sut Ram
श्री बलरामजी वे हैं रोहिनी सुत राम गौर अंग सुरंग लोचन, प्रलय जिन के ताम एक कुंडल स्रवन धारी, द्यौत दरसी ग्राम नील अंबर अंग धारी, स्याम पूरन काम ताल बल इन बच्छ मार्यौ, ब्रह्म पूरन काम ‘सूर’ प्रभु आकरषि, तातैं संकरषन है नाम
Din Yu Hi Bite Jate Hain Sumiran Kar Le Tu Ram Nam
नाम स्मरण दिन यूँ ही बीते जाते हैं, सुमिरन करले तूँ राम नाम लख चौरासी योनी भटका, तब मानुष के तन को पाया जिन स्वारथ में जीवन खोया, वे अंत समय पछताते हैं अपना जिसको तूँने समझा, वह झूठे जग की है माया क्यों हरि का नाम बीसार दिया, सब जीते जी के नाते हैं […]
Din Vyartha Hi Bite Jate Hain
चेतावनी दिन व्यर्थ ही बीते जाते हैं जिसने मानव तन हमें दिया, उन करुणा निधि को भुला दिया जीवन की संध्या वेला में हम ऐसे ही पछताते हैं घर पुत्र मित्र हे भाई मेरा, माया में इतना उलझ गया धन हो न पास, जर्जर शरीर, ये कोई काम न आते हैं दुनियादारी गोरख धंधा, आकण्ठ […]
Bhakta Ke Vash Main Hain Bhagwan
भक्त वत्सलता भक्त के वश में हैं भगवान जब जब स्मरण किया भक्तों ने, रखली तुमने आन चीर खिंचा जब द्रुपद-सुता का, दु:शासन के द्वारा लिया वस्त्र अवतार, द्रौपदी ने जब तुम्हें पुकारा लगी बाँधने यशुमति मैया, जब डोरी से तुमको थकी यशोदा पर न बँधे, तो बँधवाया अपने को दुर्वासा संग शिष्य जीमने, पाण्डव-कुटि […]
Bhav Ke Bhukhe Prabhu Hain
भाव के भूखे भाव के भूखे प्रभु हैं, भाव ही तो सार है भाव से उनको भजे जो, उसका बेड़ा पार है वस्त्र भूषण या कि धन हो, सबके दाता तो वही अर्पण करें सर्वस्व उनको, भाव तो सच्चा यही भाव से हम पत्र, जल या पुष्प उनको भेंट दे स्वीकारते उसको प्रभु, भव-निधि से […]