Jo Kuch Hai Vah Parmeshwar Hai
तत्व चिंतन जो कुछ है वह परमेश्वर है वे जगत् रूप प्रकृति माया यदि साक्षी भाव से चिंतन हो मेरा पन तो केवल छाँया हम करें समर्पण अपने को, उन परमपिता के चरणों में और करें तत्व का जो विचार, सद्मार्ग सुलभ हो तभी हमें जो तत्व मसि का महावाक्य ‘वह तूँ है’ उनके सिवा […]
Vivek Prapt Hai Manav Ko
विवेक विवेक प्राप्त है मानव को क्या तो अनुचित अथवा कि उचित, यह समझ नहीं पशु पक्षी को जो सदुपयोग करले इसका, उसका तो जीवन सफल हुआ वरना तो पशु से भी निकृष्ट, मानव का जीवन विफल हुआ हम अपने और दूसरों का, कर पायें भला विवेक यही तब तत्वज्ञान में हो परिणित, सर्वज्ञ प्रभु […]
Ab Odhawat Hai Chadariya Vah Dekho Re Chalti Biriya
अंतिम अवस्था अब ओढ़ावत है चादरिया, वह देखो रे चलती बिरिया तन से प्राण जो निकसन लागे, उलटी नयन पुतरिया भीतर से जब बाहर लाये, छूटे महल अटरिया चार जने मिल खाट उठाये, रोवत चले डगरिया कहे ’कबीर’ सुनो भाई साधो, सँग में तनिक लकड़िया
Tan Rakta Mans Ka Dhancha Hai
चेतावनी तन रक्त माँस का ढाँचा है, जो ढका हुआ है चमड़े से श्रृंगार करे क्या काया का, जो भरी हुई है दुर्गन्धों से खाये पीये कितना बढ़िया, मल-मूत्र वहीं जो बन जाता ऐसे शरीर की रक्षा में, दिन रात परिश्रम है करता मन में जो रही वासनाएँ, वे अन्त समय तक साथ रहें मृत्योपरांत […]
Sakhi Ye Badbhagi Hai Mor
बड़भागी नंद यशोदा सखी! ये बड़भागी हैं मोर जेहि पंखन को मुकुट बन्यो है धर लियो नंद किशोर बड़ भागी अति नंद यशोदा, पुण्य किये भर जोर शिव विरंचि नारद मुनि ज्ञानी, ठाड़े हैं कर जोर ‘परमानन्द’ दास को ठाकुर, गोपियन के चितचोर
Kahe Ko Tan Manjta Re Mati Main Mil Jana Hai
सत्संग महिमा काहे को तन माँजता रे, माटी में मिल जाना है एक दिन दूल्हा साथ बराती, बाजत ढोल निसाना है एक दिन तो स्मशान में सोना, सीधे पग हो जाना है सत्संगत अब से ही करले, नाहिं तो फिर पछताना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, प्रभु का ध्यान लगाना है
Trashna Hi Dukh Ka Karan Hai
तृष्णा तृष्णा ही दुःख का कारण है इच्छाओं का परित्याग करे, संतोष भाव आ जाता है धन इतना ही आवश्यक है जिससे कुटंब का पालन हो यदि साधु सन्त अतिथि आये, उनका भी स्वागत सेवा हो जो सुलभ हमें सुख स्वास्थ्य कीर्ति, प्रारब्ध भोग इसको कहते जो झूठ कपट से धन जोड़ा, फलस्वरूप अन्ततः दुख […]
Satswarup Hai Aatma
सत्य दर्शन सत्स्वरूप है आत्मा, जो स्वभावतः सत्य झूठ बाहरी वस्तु है, जो अवश्य ही त्याज्य धन आसक्ति प्रमादवश, व्यक्ति बोलता झूठ सत्य आचरण ही करें, प्रभु ना जाए रूठ छद्म पूर्ण हो चरित तो, कहीं न आदर पाय कपट शून्य हो आचरण, विश्वासी हो जाय काम क्रोध व लोभ है, सभी नरक के द्वार […]
Jiwan Ko Vyartha Ganwaya Hai
चेतावनी जीवन को व्यर्थ गँवाया है मिथ्या माया जाल जगत में, फिर भी क्यों भरमाया है मारी चोंच तो रुई उड़ गई, मन में तूँ पछताया है यह मन बसी मूर्खता कैसी, मोह जाल मन भाया है कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, मनुज जन्म जो पाया है
Nand Nandan Bado Natkhati Hai
नटखट कन्हैया नँदनंदन बड़ो नटखटी है मैं दधिमाखन बेचन जाऊँ, पथ रोक ले मेरो धाय के जो नहीं देऊँ मैं माखन तो,वो लूट ले आँख दिखाय के जब भी घर से बाहर जाऊँ, चुपके से घर में आय के तब ग्वाल-बाल को संग में ले, मटको फोड़े दधि खाय के घर की भी सुधि नहीं […]