Man Pachite Hai Avsar Bite
नश्वर माया मन पछितै है अवसर बीते दुरलभ देह पाइ हरिपद भजु, करम, वचन अरु हीते सहसबाहु, दसवदन आदि नृप, बचे न काल बलीते हम-हम करि धन-धाम सँवारे, अंत चले उठि रीते सुत-बनितादि जानि स्वारथ रत, न करू नेह सबही ते अंतहुँ तोहिं तजैंगे पामर! तू न तजै अब ही ते अब नाथहिं अनुरागु, जागु […]
Koi Manushya Hai Nich Nahi
भरत-केवट मिलाप कोई मनुष्य है नीच नहीं, भगवान भक्त हो, बड़ा वही श्री भरत मिले केवट से तो, दोनों को ही आनन्द हुआ मालूम हुआ केवट से ही, राघव का उससे प्रेम हुआ तब भरत राम के जैसे ही, छाती से उसको लगा रहे केवट को इतना हर्ष हुआ, आँखों से उसके अश्रु बहे जाति […]
Yah Jiwan Kitna Sundar Hai
मानव जीवन यह जीवन कितना सुन्दर है जो सदुपयोग ना कर पाये, फिर तो पाया क्या जीवन में खाया पीया अरु भोग किया, अन्तर न रहा नर पशुओं में जो सोच समझने की शक्ति, वरदान रूप में मिली हमें उद्देश्य पूर्ण जीवन जीते, सुर दुर्लभ जीवन मिला हमें संस्कार साथ में ही जाते, इसका कुछ […]
Shabri Sagun Manawat Hai
शबरी की प्रीति शबरी सगुन मनावत है, मेरे घर आवेंगे राम बीज बीन फल लाई शबरी, दोना न्यारे न्यारे आरति सजा प्रार्थना कीन्ही, छिन मंदिर छिन द्वारे ऋषि के वचन सुनत मनमाहीं, हर्ष न ह्रदय समाई घर को काम सकल तज दीन्हों, गुन रघुपति के गाई अनुज सहित प्रभु दरसन दीन्हों, परी चरन लपटाई ‘तुलसीदास’ […]
Guru Vishnu Vidhi Mahesh Hai
गुरु वन्दना गुरु विष्णु, विधि महेश हैं, साक्षात् ही परमेश हैं अभिमान का नहीं लेश है, वे ज्ञान रूप दिनेश हैं धर्म की गति है गहन, उसको समझना है अगम गुरु दूर करते मोह माया, दुर्ज्ञेय को करते सुगम भव-सिन्धु को कैसे तरें, दुःख द्वेष का आगार हैं यदि सद्गुरु करूणा करें, समझो कि बेड़ा […]
Rachyo Annakut Vidhivat Hai
अन्नकूट रच्यौ अन्नकूट विधिवत् है ब्रज में पाक बनाये गोप गोपियाँ ग्वाल-बाल, मन मोद बढ़ाये मीठे और चरपरे व्यंजन, मन ललचाये गिनती हो नहीं सके, देख सब ही चकराये तुलसी दल की पुष्पमाल गोवर्धन पहने चंदन केशर तो ललाट पे, शोभित गहने मोरपंख का मुकट, गले में तो वनमाला गोवर्धन ये नहीं, किन्तु है नंद […]
Shyam Tan Shyam Man Shyam Hai Hamaro Dhan
प्राण धन श्याम तन, श्याम मन, श्याम है हमारो धन आठो जाम ऊधौ हमें, श्याम ही सो काम है श्याम हिये, श्याम तिये, श्याम बिनु नाहिं जियें आँधे की सी लाकरी, अधार श्याम नाम है श्याम गति, श्याम मति, श्याम ही है प्रानपति श्याम सुखदाई सो भलाई सोभाधाम है ऊधौ तुम भये बौरे, पाती लैकै […]
Chaitanya Swarup Hi Atma Hai
आत्मानुभूति चैतन्य स्वरूप ही आत्मा है यह शुद्ध देह का शासक है, अन्तःस्थित वही शाश्वत है आत्मा शरीर को मान लिया, मिथ्या-विचार अज्ञान यही यह देह मांसमय अपवित्र और नाशवान यह ज्ञान सही है इच्छाओं का तो अन्त नहीं, मन में जिनका होता निवास मृग-तृष्णा के ही तो सदृश, मानव आखिर होता निराश यह राग […]
Rasotsav Ati Divya Hua Hai
रास लीला रासोत्सव अति दिव्य हुआ है वृन्दावन में रमण-रेती यमुनाजी की, हर्षित सब मन में शरद पूर्णिमा रात्रि, चाँदनी छिटक रही थी प्रेयसियाँ अनुराग रंग में रंगी हुई थी मंडल के बीच राधारानी कुंज बिहारी अभिनय अनुपम, छवि युगल की अति मनहारी रसमय क्रीड़ा देव देवियाँ मुग्ध हुए हैं सभी ग्रहों के साथ चन्द्रमा […]
Hari Ko Herati Hai Nandrani
माँ का स्नेह हरि को हेरति है नँदरानी बहुत अबेर भई कहँ खेलत, मेरे साँरगपानी सुनहति टेर, दौरि तहँ आये, कबके निकसे लाल जेंवत नहीं बाबा तुम्हरे बिनु, वेगि चलो गोपाल स्यामहिं ल्यायी महरि जसोदा, तुरतहिं पाँव पखारे ‘सूरदास’ प्रभु संग नंद के, बैठे हैं दोऊ बारे