Shankar Teri Jata Main Shamil Hai Gang Dhara
शिवशंकर शंकर तेरी जटा में शोभित है गंग-धारा काली घटा के अंदर, चपला का ज्यों उजारा गल मुण्डमाल राजे, शशि शीश पर बिराजे डमरू निनाद बाजे, कर में त्रिशूल साजे मृग चर्म वसन धारी, नंदी पे हो सवारी भक्तों के दुःख हारी, गिरिजा के सँग विहारी शिव नाम जो उचारे, सब पाप दोष जारे भव-सिंधु […]
Bhula Raha Hai Tu Youwan Main
नवधा भक्ति भूला रहा तू यौवन में, क्यों नहीं समझता अभिमानी तू राग, द्वेष, सुख, माया में, तल्लीन हो रहा अज्ञानी जो विश्वसृजक करुणासागर की तन्मय होकर भक्ति करे प्रतिपाल वहीं तो भक्तों के, सारे संकट को दूर करें हरि स्मरण कीर्तन, दास्य, सख्य, पूजा और आत्मनिवेदन हो हरि-कथा श्रवण हो, वन्दन हो, अरु संतचरण […]
Anand Adhik Hai Bhakti Main
भक्ति-भाव आनन्द अधिक है भक्ति में आकर्षण ऐसा न त्याग में, योग, ज्ञान या यज्ञों में गोदी में बैठ यशोदा के, जो माँ का मोद बढ़ाते वे बिना बुलाये प्रायः ही, पाण्डव के घर प्रभु आते रुक्मिणी के हित व्याकुल इतने, सो नहीं रात्रि में पाते वे लगते गले सुदामा के तो अश्रु प्रवाहित होते […]
Maya Se Tarna Dustar Hai
माया माया से तरना दुस्तर है आसक्ति के प्रति हो असंग, दूषित ममत्व बाहर कर दें मन को पूरा स्थिर करके, प्रभु सेवा में अर्पित कर दें पदार्थ सुखी न दुखी करते, व्यर्थ ही भ्रम को मन में रखते होता न ह्रास वासना का, विपरीत उसकी वृद्धि करते मन को नहीं खाली छोड़े हम, सत्संग […]
Kahan Ke Pathik Kahan Kinh Hai Gavanwa
परिचय कहाँ के पथिक कहाँ, कीन्ह है गवनवा कौन ग्राम के, धाम के वासी, के कारण तुम तज्यो है भवनवा उत्तर देस एक नगरी अयोध्या, राजा दशरथ जहाँ वहाँ है भुवानवा उनही के हम दोनों कुँवरावा , मात वचन सुनि तज्यो है भवनवा कौन सो प्रीतम कौन देवरवा ! साँवरो सो प्रीतम गौर देवरवा ‘तुलसिदास’ […]
Karmo Ka Fal Hi Sukh Dukh Hai
कर्म-फल कर्मों का फल ही सुख दुख है जिसने जैसा हो कर्म किया, उसका फल वह निश्चित पायेगा जो कर्म समर्पित प्रभु को हो, तो वह अक्षय हो जायेगा जो भी ऐसा सत्कर्मी हो, वह उत्तम गति को पायेगा जो व्यक्ति करे निष्काम कर्म, सर्वथा आश्रित प्रभु के ही ऐसे भक्तों का निस्संदेह, उद्धार स्वयं […]
Mila Hai Janma Manav Ka
प्रबोधन मिला है जन्म मानव का, गँवाया किन्तु यौवन को साथ में कुछ न जायेगा, चेत जा, याद कर प्रभु को अभी से आत्मचिंतन हो, पढ़ो तुम नित्य गीता को निदिध्यासन मनन भी हो, छुड़ा दे मोह माया को साधना के अनेकों पंथ भी, निर्गुण सगुण कोई श्रेष्ठ पर ज्ञान ही का मार्ग, दिखा सकते […]
Jaki Gati Hai Hanuman Ki
हनुमान आश्रय जाकी गति है हनुमान की ताकी पैज पूजि आई, यह रेखा कुलिस पषान की अघटि-घटन, सुघटन-विघटन, ऐसी विरुदावलि नहिं आन की सुमिरत संकट सोच-विमोचन, मूरति मोद-निधान की तापर सानुकूल गिरिजा, शिव, राम, लखन अरु जानकी ‘तुलसी’ कपि की कृपा-विलोकनि, खानि सकल कल्यान की
Krishna Ghar Nand Ke Aaye Badhai Hai Badhai Hai
श्रीकृष्ण प्राकट्य कृष्ण घर नंद के आये, बधाई है बधाई है करो सब प्रेम से दर्शन, बधाई है बधाई है भाद्र की अष्टमी पावन में प्रगटे श्याम मनमोहन सुखों की राशि है पाई, बधाई है बधाई है मुदित सब बाल, नर-नारी, चले ले भेंट हाथों में देख शोभा अधिक हर्षित, बधाई है बधाई है कृष्ण […]
Yashoda Nand Gopijan Dukhi Hai
विरह वेदना यशोदा, नन्द, गोपीजन, दुखी है विरह पीड़ा से परम प्यारा सभी का मैं, कहे यो श्याम उद्धव से उधोजी ब्रज में जाकर के, मिले तब नन्द बाबा से कभी गोविंद आयेंगे, यों पूछा नन्द ने उनसे बही तब आँसुओं की धार, यशोदा नन्द नयनों से रुँध गया कण्ठ दोनों का, बोल ना पाय […]