Gwalin Tab Dekhe Nand Nandan
गोपियों का प्रेम ग्वालिन तब देखे नँद-नंदन मोर मुकुट पीताम्बर काचे, खौरि किये तनु चन्दन तब यह कह्यो कहाँ अब जैहौं, आगे कुँवर कन्हाई यह सुनि मन आनन्द बढ़ायो, मुख कहैं बात डराई कोउ कोउ कहति चलौ री जाई, कोउ कहै फिरि घर जाई कोउ कहति कहा करिहै हरि, इनकौ कहा पराई कोउ कोउ कहति […]
Gwalin Kar Te Kor Chudawat
बालकृष्ण लीला ग्वालिन कर ते कौर छुड़ावत झूठो लेत सबनि के मुख कौ, अपने मुख लै नावत षट-रस के पकवान धरे बहु, तामें रूचि नहिं पावत हा हा करि करि माँग लेत हैं, कहत मोहि अति भावत यह महिमा वे ही जन जानैं, जाते आप बँधावत ‘सूर’ श्याम सपने नहिं दरसत, मुनिजन ध्यान लगावत
Gwalin Jo Dekhe Ghar Aay
माखन चोरी ग्वालिन जो देखे घर आय माखन खाय चुराय श्याम तब, आपुन रही छिपाय भीतर गई तहाँ हरि पाये, बोले अपने घर मैं आयो भूल भई, गोरस में चींटी, काढ़न में भरमायो सुन-सुन वचन चतुर मोहन के, ग्वालिनि मुड़ मुसकानी ‘सूरदास’ प्रभु नटनागर की, सबै बात हम जानी