Nayan Main Daro Mati Gulal
होली नयन में डारो मती गुलाल, तिहारे पाँय परत नन्दलाल अंतर होत पिया दरसन में, बिन दरसन बेहाल कनक बेलि वृषभानु-नन्दिनी, प्रीतम स्याम तमाल ऋतु बसंत वृंदावन फूल्यो, नाचत गोपी ग्वाल वेणु बजावे मधुरे गावे, नाना विधि दे ताल ‘रामदास’ प्रभु गिरिधर नागर, पिक रंग सोहे गाल
Lal Gulal Gupal Hamari
होली लाल गुलाल गुपाल हमारी, आँखिन में जिन डारोजू वदन चंद्रमा नैन चकोरी, इन अन्तर जिन पारोजू गाओ राग बसंत परस्पर, अटपट खेल निवारोजू कुंकुम रंग सों भरि पिचकारी, तकि नैनन जिन मारोजू बाँकी चितवन नेह हृदय भरि, प्रेम की दृष्टि निहारोजू नागरि-नागर भवसागर ते, ‘कृष्णदास’ को तारोजू