Kyon Tu Govind Nam Bisaro
नाम स्मरण क्यौं तू गोविंद नाम बिसारौ अजहूँ चेति, भजन करि हरि कौ, काल फिरत सिर ऊपर भारौ धन-सुत दारा काम न आवै, जिनहिं लागि आपुनपौ हारौ ‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, चल्यो पछिताइ नयन जल ढारौ
Re Man Govind Ke Hve Rahiye
प्रबोधन रे मन, गोविंद के ह्वै रहियै विरत होय संसार में रहिये, जम की त्रास न सहियै सुख, दुख कीरति भाग्य आपने, मिल जाये सो गहियै ‘सूरदास’ भगवंत-भजन करि, भवसागर तरि जइयै
He Govind He Gopal He Govind Rakho Sharan
शरणागति हे गोविन्द, हे गोपाल, हे गोविन्द राखो शरण अब तो जीवन हारे, हे गोविन्द, हे गोपाल नीर पिवन हेतु गयो, सिन्धु के किनारे सिन्धु बीच बसत ग्राह, चरन धरि पछारे चार प्रहर युद्ध भयो, ले गयो मझधारे नाक कान डूबन लागे, कृष्ण को पुकारे द्वारका में शब्द गयो, शोर भयो भारे शंख-चक्र, गदा-पद्म, गरूड़ […]
Govind Kabahu Mile Piya Mera
विरह व्यथा गोविन्द कबहुँ मिले पिया मेरा चरण कँवल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा निरखण को मोहि चाव घणेरो, कब देखूँ मुख तेरा व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज, तुम सो प्रेम घनेरा ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताप तपन बहुतेरा
Mai Ri Main To Liyo Govind Mol
अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]
Rana Jimhe To Govind Ka Gun Gasyan
भक्ति भाव राणाजी! म्हे तो गोविन्द का गुण गास्याँ चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्याँ हरि मंदिर में निरत करास्याँ, घूँघरिया धमकास्याँ राम नाम का झाँझ चलास्याँ, भव सागर तर जास्याँ यह संसार बाड़ का काँटा, सो संगत नहिं करस्याँ ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, निरख परख गुण गास्याँ
Bhajo Re Bhaiya Ram Govind Hari
हरि कीर्तन भजो रे भैया राम गोविन्द हरी जप तप साधन कछु नहिं लागत, खरचत नहिं गठरी संतति संपति सुख के कारण, जासे भूल परी कहत ‘कबीर’ राम नहिं जा मुख, ता मुख धुल भरी
Govind Karat Murali Gan
मुरली माधुर्य गोविन्द करत मुरली गान अधर पर धर श्याम सुन्दर, सप्त स्वर संधान विमोहे ब्रज-नारि, खग पशु, सुनत धरि रहे ध्यान चल अचल सबकी भई यह, गति अनुपम आन ध्यान छूटे मुनिजनों के, थके व्योम विमान ‘कुंभनदास’ सुजान गिरिधर, रची अद्भुत तान
Bhajo Re Man Shri Radha Govind
नाम स्मरण भजो रे मन श्री राधा गोविंद जन-मन को निज-धन-मनमोहन, पूरन परमानंद जीवन के जीवन वे तेरे, तू चकोर वे चन्द कैसे तिनहिं बिसारि भयो तूँ, मोह मुग्ध मतिमन्द चेत-चेत रे अब तो मूरख, छोड़ सबहिं छल-छन्द सब तज भज मोहन को प्यारे, यहीं पंथ निर्द्वंद
Om Jay Govind Hare
कृष्ण आरती ॐ जय गोविन्द हरे, प्रभु जय गोपाल हरे सत्य सनातन सुन्दर, मन-वच-बुद्धि परे नव नीरद सम श्यामल, शोभा अति भारी चपल कमल दल लोचन, ब्रज जन-बलिहारी शरद पूर्णिमा शशि सम, मुख-मण्डल अभिराम मृग-मद तिलक विराजत, कुंचित केश ललाम मोर-मुकुट कर मुरली, पीताम्बर धारी गल बैजंती माला, राजत बनवारी —- नवनीत चोर कहावे, विश्वम्भर […]