Jo Sukh Hot Gopalhi Gaye
गोपाल का गुणगान जो सुख होत गोपालहिं गाये सो न होत जपतप व्रत संयम, कोटिक तीरथ न्हाये गदगद गिरा नयन जल धारा, प्रेम पुलक तनु छाये तीन लोक सुख तृणवत लेखत, नँद-नंदन उर आये दिये लेत नहिं चार पदारथ, हरि चरणन अरुझाये ‘सूरदास’ गोविन्द भजन बिनु, चित नहीं चलत चलाये
Shri Krishna Chandra Mathura Ko Gaye
विरह व्यथा श्री कृष्णचन्द्र मथुरा को गये, गोकुल को आयबो छोड़ दियो तब से ब्रज की बालाओं ने, पनघट को जायबो छोड़ दियो सब लता पता भी सूख गये, कालिंदी किनारो छोड़ दियो वहाँ मेवा भोग लगावत हैं, माखन को खायबो छोड़ दियो ये बीन पखावज धरी रहैं, मुरली को बजायबो छोड़ दियो वहाँ कुब्जा […]
Sab Din Gaye Vishay Ke Het
विस्मरण सब दिन गये विषय के हेत तीनों पन ऐसे ही बीते, केस भये सिर सेत रूँधी साँस, मुख बैन न आवत चन्द्र ग्रसहि जिमि केत तजि गंगोदक पियत कूप जल, हरि तजि पूजत प्रेत करि प्रमाद गोविंद, बिसार्यौ, बूड्यों कुटुँब समेत ‘सूरदास’ कछु खरच न लागत, रामनाम सुख लेत
Ho Ji Hari Kit Gaye Neha Lagay
विरह व्यथा हो जी हरि!कित गए नेहा लगाय नेह लगाय मेरो मन हर लियो, रस-भरी टेर सुनाय मेरे मन में ऐसी आवै, प्राण तजूँ विष खाय छाँड़ि गए बिसवासघात करि, नेह की नाव चढ़ाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, रहे मधुपुरी छाय
Chod Jhamela Jhuthe Jag Ka Kah Gaye Das Kabir
मिथ्या संसार छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गये दास कबीर उड़ जायेगा साँस का पंछी, शाश्वत नहीं शरीर तुलसीदास के सीता राघव उनसे मन कर प्रीति रामचरित से सीख रे मनवा, मर्यादा की रीति बालकृष्ण की लीलाओं का धरो हृदय में ध्यान सूरदास से भक्ति उमड़े करो उन्हीं का गान मीरा के प्रभु गिरिधर […]
Jab Gaye Shyam Mathura Udho
विरह व्यथा जब गये श्याम मथुरा ऊधो, तब से गोकुल को भूल गये यो कहते नन्द यशोदा के, आँखों से आँसू छलक गये वह सुघड़ वेष कटि पीताम्बर, मुख कमल नित्य ही स्मरण करे संग ग्वाल सखा, वंशी वादन, वृन्दावन में लाला विचरे इस तरह नित्य मैया बाबा, सुत स्नेह लहर में थे बहते स्तन […]