Jay Ganesh Gan Nath Dayamay
श्री गणेश स्तवन जय गणेश गणनाथ दयामय, दूर करो सब विघ्न हमारे प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो, उनके सारे काज सँवारे लंबोदर गजवदन मनोहर, बज्रांकुश को कर में धारे ऋद्धि-सिद्धि दोऊ चँवर डुलावैं, मूषक वाहन आप पधारे ब्रह्मादिक सुर ध्यावें मन में, ऋषि मुनिगण सब दास तुम्हारे ‘ब्रह्मानंद’ सहाय करो प्रभु, भक्तजनों के तुम रखवारे
Govind Karat Murali Gan
मुरली माधुर्य गोविन्द करत मुरली गान अधर पर धर श्याम सुन्दर, सप्त स्वर संधान विमोहे ब्रज-नारि, खग पशु, सुनत धरि रहे ध्यान चल अचल सबकी भई यह, गति अनुपम आन ध्यान छूटे मुनिजनों के, थके व्योम विमान ‘कुंभनदास’ सुजान गिरिधर, रची अद्भुत तान