Lal Teri Fir Fir Jat Sagai
माखन चोरी लाल तेरी फिर फिर जात सगाई चोरी की लत त्याग दे मोहन, लड़ लड़ जाय लुगाई दूध दही घर में बहुतेरो, माखन और मलाई बार बार समुझाय जसोदा, माने न कुँवर कन्हाई नंदराय नन्दरानी परस्पर, मन में अति सुख पाई सूर श्याम के रूप, शील गुण, कोउ से कहा न जाई