Gopiyan Aai Nand Ke Dware
होली गोपियाँ आईं नन्द के द्वारे खेलत फाग बसंत पंचमी, पहुँचे नंद-दुलारे कोऊ अगर कुमकुमा केसर, काहू के मुख पर डारे कोऊ अबीर गुलाल उड़ावे, आनँद तन न सँभारे मोहन को गोपी निरखत सब, नीके बदन निहारे चितवनि में सबही बस कीनी, मनमोहन चित चोरे ताल मृदंग मुरली दफ बाजे, झाँझर की झन्कारे ‘सूरदास’ प्रभु […]