Karahu Man Nandnandan Ko Dhyan
प्रबोधन करहुँ मन, नँदनंदन को ध्यान येहि अवसर तोहिं फिर न मिलैगो, मेरो कह्यो अब मान अन्तकाल की राह देख मत, तब न रहेगो भान घूँघरवाली अलकैं मुख पर, कुण्डल झलकत कान मोर-मुकुट अलसाने नैना, झूमत रूप निधान दिव्य स्वरुप हृदय में धरले करहुँ नित्य प्रभु गान
Gayon Ke Hit Ka Rahe Dhyan
गो माता गायों के हित का रहे ध्यान गो-मांस करे जो भी सेवन, निर्लज्ज व्यक्ति पापों की खान गौ माँ की सेवा पुण्य बड़ा, भवनिधि से करदे हमें पार वेदों ने जिनका किया गान, शास्त्र पुराण कहे बार-बार गौ-माता माँ के ही सदृश, वे दु:खी पर हम चुप रहते माँ की सेवा हो तन मन […]