Deh Dhara Koi Subhi Na Dekha
दुःखी दुनिया देह धरा कोई सुखी न देखा, जो देखा सो दुखिया रे घाट घाट पे सब जग दुखिया, क्या गेही वैरागी रे साँच कहूँ तो कोई न माने, झूट कह्यो नहिं जाई रे आसा तृष्णा सब घट व्यापे, कोई न इनसे सूना रे कहत ‘कबीर’ सभी जग दुखिया, साधु सुखी मन जीता रे
Shankar Teri Jata Main Shamil Hai Gang Dhara
शिवशंकर शंकर तेरी जटा में शोभित है गंग-धारा काली घटा के अंदर, चपला का ज्यों उजारा गल मुण्डमाल राजे, शशि शीश पर बिराजे डमरू निनाद बाजे, कर में त्रिशूल साजे मृग चर्म वसन धारी, नंदी पे हो सवारी भक्तों के दुःख हारी, गिरिजा के सँग विहारी शिव नाम जो उचारे, सब पाप दोष जारे भव-सिंधु […]
Dhara Par Pragte Palanhar
श्रीकृष्ण प्राकट्य धरा पर प्रगटे पालनहार, बिरज में आनँद छायो रे पीत पताका घर घर फहरे, मंगल गान हर्ष की लहरें गूँजे पायल की झंकार, विरज में आनँद छायो रे नर-नारी नाचे गोकुल में, मात यशोदा बलि बलि जाए द्वारे भीर गोप-गोपिन की, बिरज में आनंद छायो रे दान दे रहे नंद जसोदा, माणिक मोती […]