Sut Mukh Dekhi Jasoda Phuli
यशोदा का स्नेह सुत-मुख देखि जसोदा फूली हरषित देखि दूध की दंतुली, प्रेम-मगन तन की सुधि भूली बाहिर तें तब नन्द बुलाए, देखौं धौ सुन्दर सुखदाई तनक-तनक-सी दूध दँतुलियाँ, देखौ, नैन सफल कारौं आई आनँद सहित महर तब आये, मुख चितवत दोउ नैन अघाई ‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देखे, लगै कमल पे बिज्जु छाई
Jagat Main Jhuthi Dekhi Preet
प्रबोधन जगत् में झूठी देखी प्रीत अपने ही सुख से, सब लागे, क्या दारा क्या मीत मेरो मेरो सभी कहत है, हित सौं बाँध्यो चीत अन्तकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत यह कैसी है नीत ‘नानक’ भव-जल पार परै, जो गावै प्रभु के गीत