Main Hari Charanan Ki Dasi
हरि की दासी मैं हरि चरणन की दासी मलिन विषय रस त्यागे जग के, कृष्ण नाम रस प्यासी दुख अपमान कष्ट सब सहिया, लोग कहे कुलनासी आओ प्रीतम सुन्दर निरुपम, अंतर होत उदासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चैन, नींद सब नासी
हरि की दासी मैं हरि चरणन की दासी मलिन विषय रस त्यागे जग के, कृष्ण नाम रस प्यासी दुख अपमान कष्ट सब सहिया, लोग कहे कुलनासी आओ प्रीतम सुन्दर निरुपम, अंतर होत उदासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चैन, नींद सब नासी