Swamin Pashupate Prabho Das Ke Pas Chudao
शिवाशीव स्तुति स्वामिन्! पशुपति! प्रभो! दास के पास छुड़ाओ जगदम्बा! माँ! उमा वत्स कूँ हृदय लगाओ भटक्यो जग महँ जनक! शरन चरनन महँ दीजे माँ! अब गोद बिठाय चूमि मुख सुत कूँ लीजे यद्यपि हौं अति अधमहूँ, तऊ पिता! अपनाइ लैं मैं जो साधन रहित सुत, कूँ हिय तें चिपकाइ लैं
Chod Jhamela Jhuthe Jag Ka Kah Gaye Das Kabir
मिथ्या संसार छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गये दास कबीर उड़ जायेगा साँस का पंछी, शाश्वत नहीं शरीर तुलसीदास के सीता राघव उनसे मन कर प्रीति रामचरित से सीख रे मनवा, मर्यादा की रीति बालकृष्ण की लीलाओं का धरो हृदय में ध्यान सूरदास से भक्ति उमड़े करो उन्हीं का गान मीरा के प्रभु गिरिधर […]