Darshan Ki Pyasi Mohan
दर्शन की प्यास दर्शन की प्यासी मोहन! आई शरण तुम्हारी रस प्रेम का लगा के, हमको है क्यों बिसारी सूरत तेरी कन्हाई, नयनों में है समाई हमसे सहा न जाये, तेरा वियोग भारी घर बार मोह माया, सब त्याग हमहैं आर्इं चन्दा सा मुख दिखा दो, विनती है यह हमारी बंसी की धुन सुनादो, फिर […]
Gopi Vallabh Ke Darshan Main
प्रीति-माधुरी गोपीवल्लभ के दर्शन में, मिलता सुख वैसा कहीं नहीं गोपीजन का था प्रेम दिव्य, प्रेमानुराग की सरित् बही दण्डकवन के ऋषि मुनि ही तो, आकर्षित थे राघव प्रति जो वे बनी गोपियाँ, पूर्ण हुर्इं, अभिलाषा थी इनके मन जो वे देह दशा को भूल गर्इं, हृदय में कोई और न था श्रीकृष्णचन्द्र से प्रेम […]
Shyam Main Kaise Darshan Paun
दर्शन की चाह श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ […]