Mukhada Kya Dekhe Darpan Main
दया-धर्म मुखड़ा क्या देखे दर्पण में, तेरे दया धरम नहीं मन में कागज की एक नाव बनाई, छोड़ी गंगा-जल में धर्मी कर्मी पार उतर गये, पापी डूबे जल में आम की डारी कोयल राजी, मछली राजी जल में साधु रहे जंगल में राजी, गृहस्थ राजी धन में ऐंठी धोती पाग लपेटी, तेल चुआ जुलफन में […]
Shyam Dekh Darpan Main Bole
राधिका श्याम सौन्दर्य श्याम देख दर्पण में बोले ‘सुनो राधिका प्यारी आज बताओ मैं सुन्दर या तुम हो सुभगा न्यारी’ असमंजस में पड़ी राधिका, कौन अधिक रुचिकारी ‘हम का कहें कि मैं गोरी पर, तुम तो श्याम बिहारी’ जीत गई वृषभानु-दुलारी, मुग्ध हुए बनवारी भक्तों के सर्वस्व राधिका-श्याम युगल मनहारी