Baadar Dekh Dari Shyam
बादल देख डरी बादर देख डरी हो श्याम! मैं तो बादर देख डरी काली-पीली घटा उमड़ी, बरस्यो एक घरी जित जाऊँ तित पानी ही पानी, भई सब भोम हरी जाको पिव परदेस बसत है, भीजै बार खरी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर,कीज्यो प्रीत खरी
Shyam Ne Kaha Thagori Dari
श्याम की ठगौरी स्याम ने कहा ठगोरी डारी बिसरे धरम-करम, कुल-परिजन, लोक साज गई सारी गई हुती मैं जमुना तट पर, जल भरिबे लै मटकी देखत स्याम कमल-दल-लोचन, दृष्टि तुरत ही अटकी मो तन मुरि मुसुकाए मनसिज, मोहन नंद-किसोर तेहि छिन चोरि लियौ मन सरबस, परम चतुर चित-चोर