Madhukar Shyam Hamre Chor
चित-चोर मधुकर श्याम हमारे चोर मन हर लियो माधुरी मूरत, निरख नयन की कोर पकरे हुते आन उर अंतर, प्रेम प्रीति के जोर गये छुड़ाय तोर सब बंधन, दै गये हँसन अकोर उचक परों जागत निसि बीते, तारे गिनत भई भोर ‘सूरदास’ प्रभु हत मन मेरो, सरबस लै गयो नंदकिशोर
Mohi Kahat Jubati Sab Chor
चित चोर मोहिं कहति जुवति सब चोर खेलत कहूँ रहौं मैं बाहिर, चितै रहतिं सब मेरी ओर बोलि लेहिं भीतर घर अपने, मुख चूमति भर लेति अँकोर माखन हेरि देति अपने कर, कई विधि सौं करति निहोर जहाँ मोहिं देखति तँहै टेरति, मैं नहिं जात दुहाई तोर ‘सूर’ स्याम हँसि कंठ लगायौ, वे तरुनी कहँ […]