Mai Moko Chand Lagyo Dukh Den
विरह व्यथा माई, मोकौं चाँद लग्यौ दुख दैन कहँ वे स्याम, कहाँ वे बतियाँ, कहँ वह सुख की रैन तारे गिनत गिनत मैं हारी, टपक न लागे नैन ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हारे दरस बिनु, विरहिनि कौं नहिं चैन
Maiya Main To Chand Khilona
कान्हा की हठ मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं जैहौं, लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं सुरभी कौ पे पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं ह्वैहौं पूत नंद बाबा कौ, तेरौ सुत न कहैहौं आगै आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुल्हनिया दैहौं तेरी सौं, मेरी सुनि […]