Prabhu Ji The To Chala Gaya Mhara Se Prit Lagay
पविरह व्यथा प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय
Sab Chala Chali Ka Mela Hai
नश्वर संसार सब चला चली का मेला है कोई चला गया कोई जाने को, बस चार दिनों का खेला है घर बार कपट की माया है, जीवन में पाप कमाया है ये मनुज योनि अति दुर्लभ है, जिसने दी उन्हें भुलाया है विषयों में डूब रहा अब भी, जाने की आ गई वेला रे सब […]