Ghanshyam Bulawe Radha
हिंडोला (राजस्थानी) घनश्याम बुलावे राधा, थे झूलण चालो बाग में मलय-चँदन को बन्यो हिंडोलो, बँधी रेशमी डोर झूलो आप झुलावे मोहन, नाच रह्यो मन-मोर सजधज आई बाग में राधा, कण्ठ फूल को हार चम्पा, जूही और चमेली, शीतल बहे बयार दादुर, मोर, पपीहा बोले, पीव पीव करे पुकार शिव, ब्रह्मा सनकादिक निरखे, कोई न पायो […]