Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo
शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो
Aawat Hi Yamuna Bhar Pani
मोहन की मोहिनी आवत ही यमुना भर पानी श्याम रूप काहूको ढोटा, चितवानि देख लुभानी मोहन कह्यो तुमहीं या ब्रज में, हम कूँ नहिं पहिचानी ठगी रही मूरत मन अटक्यो, मुख निकसत नहीं बानी जा दिन तें चितये री वह छबि, हरि के हाथ बिकानी ‘नंददास’ प्रभु सों मन मिलियो, ज्यों सागर में पानी
Thali Bhar Kar Lai Main Khicado
नैवेद्य अर्पण थाली भरकर लाई मैं खीचड़ो, ऊपर घी की वाटकी जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावै बेटी जाट की बापू म्हारो गाँव गयो है, न जाणे कद आवेगो बाट देख बैठ्या रहणे से, भूखो ही रह जावेगो आज जिमाऊँ थने खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावें बेटी जाट की बार-बार पड़दो […]
Nain Bhar Dekhon Nand Kumar
श्रीकृष्ण प्राकट्य नैन भर देखौं नंदकुमार जसुमति कोख चन्द्रमा प्रकट्यो, जो ब्रज को उजियार हरद दूब अक्षत दधि कुमकुम मंडित सब घर द्वार पूरो चौक विविध रंगो से, गाओ मंगलाचार चहुँ वेद-ध्वनि करत मुनि जन, होए हर्ष अपार पुण्य-पुंज परिणाम साँवरो, सकल सिद्धि दातार गोप-वधू आनन्दित निरखै, सुंदरता को सार दास ‘चतुर्भुज’ प्रभु सुख सागर […]