Jabahi Ban Murli Stravan Padi
मुरली का जादू जबहिं बन मुरली स्रवन पड़ी भौंचक भई गोप-कन्या सब, काम धाम बिसरी कुल मर्जाद वेद की आज्ञा, नेकहुँ नाहिं डरी जो जिहि भाँति चली सो तेसेंहि, निसि में उमंग भरी सुत, पति-नेह, भवन-जन-संका, लज्जा नाहिं करी ‘सूरदास’ प्रभु मन हर लीन्हों, नागर नवल हरी
Jo Dhanush Ban Dhare
श्रीराम स्तवन जो धनुष-बाण धारे, कटि पीत वस्त्र पहने वे कमल-नयन राघव, सर्वस्व हैं हमारे वामांग में प्रभु के, माँ जानकी बिराजै नीरद सी जिनकी आभा, आया शरण तुम्हारे रघुनाथ के चरित का, कोई न पार पाये यश-गान होता जिनका, रघुनाथ पाप हारी शिव-धनुष जिसने तोड़ा, मिथिला से नाता जोड़ा असुरों के जो विनाशक, रक्षा […]
Dulha Ban Aaya Tripurari
शिव विवाह (राजस्थानी) दूल्हा बणआया त्रिपुरारी पारबती की सखियाँ प्यारी, गावे हिलि मिलि गारी भसम रमाय बाघंबर पहर्यो, गल मुण्डमाला धारी हाथ त्रिशूल बजावत डमरू, नंदी की असवारी भूत पिशाच बराती बणग्या, नाचै दै दै तारी सरप करे फुंकार कण्ठ में, डरप रह्या नर नारी सीस जटा बिच गंगा विहरे, भाल चाँद छबि न्यारी निरखत […]