Bali Bali Ho Kuwari Radhika
राधा कृष्ण प्रीति बलि बलि हौं कुँवरि राधिका, नन्दसुवन जासों रति मानी वे अति चतुर, तुम चतुर-शिरोमनि, प्रीत करी कैसे रही छानी बेनु धरत हैं, कनक पीतपट, सो तेरे अन्तरगत ठानी वे पुनि श्याम, सहज तुम श्यामा, अम्बर मिस अपने उर आनी पुलकित अंग अवहि ह्वै आयो, निरखि सखी निज देह सयानी ‘सूर’ सुजान सखी […]
Mohan Jagi Ho Bali Gai
प्रभाती मोहन जागि, हौं बलि गई तेरे कारन श्याम सुन्दर, नई मुरली लई ग्वाल बाल सब द्वार ठाड़े, बेर बन की भई गय्यन के सब बन्ध छूटे, डगर बन कौं गई पीत पट कर दूर मुख तें, छाँड़ि दै अलसई अति अनन्दित होत जसुमति, देखि द्युति नित नई जगे जंगम जीव पशु खग, और ब्रज […]
Nath Kaise Bali Ghar Yachan Aaye
वामन अवतार नाथ कैसे बलि घर याचन आये बलिराजा रणधीर महाबल, इन्द्रादिक भय खाये तीन लोक उनके वश आये, निर्भय राज चलाये वामन रूप धरा श्री हरि ने, बलि के यज्ञ सिधाये तीन चरण पृथ्वी दो राजन! कुटिया चाहूँ बनायें बलि ने दान दिया जैसे ही तत्क्षण रूप बढ़ाये तीन लोक में पैर पसारे, बलि […]