Koshalpur Me Bajat Badhai
श्री राम जन्म कौशलपुर में बजत बधाई सुंदर सुत जायो कौशल्या, प्रगट भये रघुराई जात कर्म दशरथ नृप कीनो, अगणित धेनु दिवाई गज तुरंग कंचन मणि भूषण, दीन्हे मन हरषाई देत असीस सकल नरनारी, चिरजियो सतभाई ‘तुलसिदास’ आस पूरन भई, रघुकुल प्रकटे आई
Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई
Aaj Barsane Bajat Badhai
श्री राधा प्राकट्य आज बरसाने बजत बधाई प्रगट भई वृषभानु गोप के सबही को सुखदाई आनँद मगन कहत युवती जन, महरि बधावन आई बंदीजन, मागध, याचक, गुन, गावत गीत सुहाई जय जयकार भयो त्रिभुवन में, प्रेम बेलि प्रगटाई ‘सूरदास’ प्रभु की यह जीवन-जोरी सुभग बनाई
Josida Ne Laakh Badhai
श्याम घर आये जोसीड़ा ने लाख बधाई, अब घर आये स्याम आज अधिक आनंद भयो है, जीव लहे सुखधाम पाँच सखी मिलि पीव परसि कै, आनँद आठूँ ठाम बिसरि गयो दुख निरखि पिया कूँ, सफल मनोरथ काम ‘मीराँ’ के सुखसागर स्वामी, भवन गवन कियो राम
Tan Ki Dhan Ki Kon Badhai
अन्त काल तन की धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई अपने खातिर महल बनाया, आपहि जाकर जंगल सोया हाड़ जले जैसे लकरि की मोली, बाल जले जैसे घास की पोली कहत ‘ कबीर’ सुनो मेरे गुनिया, आप मरे पिछे डूबी रे दुनिया
Krishna Ghar Nand Ke Aaye Badhai Hai Badhai Hai
श्रीकृष्ण प्राकट्य कृष्ण घर नंद के आये, बधाई है बधाई है करो सब प्रेम से दर्शन, बधाई है बधाई है भाद्र की अष्टमी पावन में प्रगटे श्याम मनमोहन सुखों की राशि है पाई, बधाई है बधाई है मुदित सब बाल, नर-नारी, चले ले भेंट हाथों में देख शोभा अधिक हर्षित, बधाई है बधाई है कृष्ण […]
Nand Grah Bajat Aaj Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद गृह बाजत आज बधाई जुट गई भीर तभी आँगन में, जन्मे कुँवर कन्हाई दान मान विप्रन को दीनो, सबकी लेत असीस पुष्प वृष्टि सब करें, देवगण जो करोड़ तैंतीस व्रज-सुंदरियाँ सजी धजी, कर शोभित कंचन थाल ‘परमानंद’ प्रभु चिर जियो, गावत गीत रसाल
Nand Mahar Ghar Bajat Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद महर घर बजत बधाई, बड़े भाग्य जाये सुत जसुदा, सुनि हरषे सब लोग लुगाई भाँति भाँति सो साज साजि सब, आये नंदराय गृह धाई नाचहिं गावहिं हिय हुलसावहिं, भरि-भरि भाण्ड के लई मिठाई भयो अमित आनन्द नंदगृह, करहिं महर सबकी पहुनाई ‘परमानँद’ छयो त्रिभुवन में, चिरजीवहु यह कुँवर कन्हाई
Badhai Se Nahi Phulo Man Main
प्रशंसा बड़ाई से नहिं फूलों मन में ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो
Braj Main Ghar Ghar Bajat Badhai
श्री राधा प्राकट्य ब्रिज में घर घर बजत बधाई अतिशय रूप निरख कन्या का माँ कीरति है हर्षाई सकल लोक की सुंदरता, वृषभानु गोप के आई जाको जस सुर मुनी सब कोई, भुवन चतुर्दश गाई नवल-किशोरी गुन निधि श्यामा, कमला भी ललचाई प्रगटे पुरुषोत्तम श्री राधा द्वै विधि रूप बनाई