Ishwar Ans Jiv Avinasi
सुभाषित ईश्वर अंस जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुखरासी उलटा नाम जपत जगजाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ विपति निदाना जा पर कृपा राम की होई, तापर कृपा करहिं सब कोई जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया जिन हरि –भक्ति ह्रदय नहिं आनी, जीवत शव […]
Bhaj Man Charan Kamal Avinasi
नश्वर संसार भज मन चरण-कमल अविनासी जे तई दीसे धरण गगन बिच, ते तई सब उठ जासी कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हें, कहा लिए करवत कासी या देही को गरब न करियो, माटी में मिल जासी यो संसार चहर की बाजी, साँझ पड्या उठ जासी कहा भयो भगवाँ का पहर्या, घर तज के सन्यासी जोगी […]