Shyam Tumhara Rup Anutha
अनूठा रूप श्याम तुम्हारा रूप अनूठा, कोटि अनंग लजाये चंचल चितवन कमल-नयन से, प्रेम सरस बरसाये स्निग्ध कपोल अरुणिमा जिनकी, दर्पण सम दमकाये मोर-मुकुट शीश पर शोभित, केश राशि लहराये कमनीय अंग किशोर मूर्ति के, दर्शन मन सरसाये पान करे गोपीजन प्रति पल, फिर भी नहीं अघाये ऐसा अद्भुत ज्योति-पुंज जो, मन का तिमिर भगाये […]