He Antaryami Prabho
हितोपदेश हे अंतर्यामी प्रभो, आत्मा के आधार तो तुम छोड़ो हाथ तो, कौन उतारे पार आछे दिन पाछे गये, हरि से किया न हेत अब पछताये होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत ऊँचे कुल क्या जनमिया, करनी ऊँच न होई सुवरन कलस सुरा भरा, साधू निन्दे सोई ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय औरन […]
Antaryami Ko Pahchano
अन्तरवृत्ति अन्तर्यामी को पहचानो मन में होय उजेरा क्रोध लोभ मद अहंकार ने, मानव जीवन घेरा हुए मोह से ग्रस्त सभी जन, छाया घना अँधेरा यौवन बीता, समय जा रहा, किन्तु विवेक न जागा जिसने संग किया संतों का, तमस हृदय का भागा