Bansiwala Sanwariya Aaja Re
निमंत्रण बंसीवाला साँवरिया आजा रे बिन देखे नहीं चैन पड़त है, चाँद सा मुखड़ा दिखाजा रे मोर मुकुट पीतांबर सोहे, मुरली की टेर सुनाजा रे दधि माखन घर में बहु मेरे, जो चाहे सोइ खाजा रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मोहनी मूरत दिखाजा रे