Aai Chak Bulaye Shyam
वन भोजन आई छाक बुलाये स्याम यह सुनि सखा सबहि जुरि आये, सुबल, सुदामा अरु श्रीदाम कमलपत्र दोना पलास के, सब आगे धरि परसत जात ग्वाल मंडली मध्य स्याम घन, सब मिलि भोजन रूचि सो खात ऐसी भूख बीच यह भोजन, पठा दियौ जो जसुमति मात ‘सूर’,स्याम अपनो नहिं जेंवत, ग्वालन कर तें लै लै […]
Gopiyan Aai Nand Ke Dware
होली गोपियाँ आईं नन्द के द्वारे खेलत फाग बसंत पंचमी, पहुँचे नंद-दुलारे कोऊ अगर कुमकुमा केसर, काहू के मुख पर डारे कोऊ अबीर गुलाल उड़ावे, आनँद तन न सँभारे मोहन को गोपी निरखत सब, नीके बदन निहारे चितवनि में सबही बस कीनी, मनमोहन चित चोरे ताल मृदंग मुरली दफ बाजे, झाँझर की झन्कारे ‘सूरदास’ प्रभु […]
Pati Madhuwan Te Aai
श्याम की पाती पाती मधुवन तै आई ऊधौ हरि के परम सनेही, ताके हाथ पठाई कोउ पढ़ति फिरि फिरि ऊधौ, हमको लिखी कन्हाई बहूरि दई फेरि ऊधौ कौ, तब उन बाँचि सुनाई मन में ध्यान हमारौ राख्यो, ‘सूर’ सदा सुखदाई
Main Ik Nai Bat Sun Aai
श्री कृष्ण प्राकट्य मैं इक नई बात सुन आई महरि जसोदा ढोटा जायौ, घर घर होति बधाई द्वारैं भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनन्द होत गोकुल में, रतन भूमि सब छाई नाचत वृद्ध, तरुन अरु बालक, गोरस कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, सुन्दर स्याम कन्हाई
Radha Nain Neer Bhari Aai
मिलन उत्सुकता राधा नैन नीर भरि आई कबहौं स्याम मिले सुन्दर सखि, यदपि निकट है आई कहा करौं केहि भाँति जाऊँ अब, देखहि नहिं तिन पाई ‘सूर’ स्याम सुन्दर धन दरसे, तनु की ताप बुझाई
Ho Ik Nai Bat Suni Aai
श्री राधा प्राकट्य हौं इक नई बात सुनि आई कीरति रानी कुँवरी जाई, घर-घर बजत बधाई द्वारे भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनंद होत बरसाने, रतन-भूमि निधि छाई नाचत तरुन वृद्ध अरु बालक, गोरस-कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामिनि सुखदायिनि, मोहन-सुख हित आई
Jogiya Kab Re Miloge Aai
मिलने की आतुरता जोगिया, कब रे मिलोगे आई तेरे कारण जोग लियो है, घर-घर अलख जगाई दिवस न भूख, रैन नहिं निंदियाँ, तुम बिन कछु न सुहाई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मिल कर तपन बुझाई
Aaj Sakhi Raghav Ki Sudhi Aai
स्मृति आज सखि! राघव की सुधि आई आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई इनके बीच में चलत जानकी, चिन्ता अधिक सताई सावन गरजे भादों बरसे,पवन चलत पुरवाई कौन वृक्ष तल भीजत होंगे, राम लखन दोउ भाई राम बिना मोरी सूनी अयोध्या, लक्ष्मण बिन ठकुराई सीता बिन मोरी सूनी रसोई, महल उदासी छाई
Rang Darat Laj Na Aai
होली रंग डारत लाज न आई, नन्दजी के कुँवर कन्हाई माखन-चोर रसिक मतवारे, गलियन धूम मचाई, गुलचे खाये भूल गये क्यों, करन लगे ठकुराई सखि! वाँको शरम न आई हाथ लकुटिया काँधे कमरिया, बन बन धेनु चराई, जाति अहीर सबहिं जन जानत, करन लगे ठकुराई छलिये जानत लोग लुगाई मात जसोदा ऊखल बाँधे, रोनी सूरति […]